तटीय मैदान Coastal Plains
तटीय मैदान Coastal Plains
भारत के प्रायद्वीपीय पठारी भाग के पूर्व व पश्चिम में दो सकंरे तटीय मैदान मिलते है जिन्हे क्रमशः पूर्वी तट एवं पश्चिमी तटीय मैदान कहा जाता है। इनका मिर्माण सागरीय तरंगों द्वारा अपरदन निक्षेप एवं पठारी नदियों द्वारा लाये गये अवसादों के जमावों से हुआ है।1. पश्चिमी तटीय मैदान- पश्चिम घाट के पश्चिमी में कच्छ की खाड़ी से लेकर कुमारी अंतरीप तक पश्चिमी तटीय मैदान फैला है। इस मैदान की औसत चौड़ाई 64 किमी. है।
गुजरात के ओखा से लेकर सूरत तक का मैदान गुजरात का मैदान कहलाता है।
गोवा से कर्नाटक के मगंलौर तक का क्षेत्र कन्नड़ तक कहलाता है।
मंगलौर से कन्याकुमारी तक का तटीय मैदान मालाबार तट कहलाता है। मालाबार तट पर लैगुल झीले पाई जाती है।
केरल में लैगुन झीलों को कयाल कहा जाता है।
मालाबार तटीय मैदान में नारियल व रबड़ के पेड़ पाये जाते है।
मालाबार तट अधिक कटा-फटा होने के कारण अनेक बदंरगाह पाये जाते है।
2. पूर्वी तटीय मैदान- उत्तर में गंगा के डेल्टाई मैदान से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक 100 किमी. के क्षेत्र में 100-130 किमी. चौड़ाई के साथ विस्तृत है। इस तटीय मैदान के तीन भाग है।
1. उत्कल तट उड़ीसा- ये निचले गंगा मैदान से स्वर्णरेखा नदी तक है।
2. उत्तरी सरकार तट-उत्कल तट व तमिलनाडु के मध्य का उत्तरी भाग उत्तरी सरकार कहलाता है।
3. कोरोमंडल तट तमिलनाडु- कृष्णा एवं कावेरी नदियों के बीच स्थित भाग को कोरोमंडल तट कहते है। इस मैदान के तट कई लैगुन झाले पाई जाती है जिनमें चिल्का व पुल्लीकट झील प्रसिद्ध है। कोरोमंडल मैदान को दक्षिण भारत का अन्न भंडार कहा जाता है। इसमें ताड़ के वृक्ष पाये जाते है। ये मैदान महानदी गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी नदियों के डेल्टाओं द्वारा निर्मित होने के कारण अत्यधिक उपजाऊँ है।
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