भूगोल में पुनर्जागरण काल और पुनर्जागरण काल के भूगोलवेत्ता Renaissance in Geography and Geographers of the Renaissance
भूगोल में पुनर्जागरण काल और पुनर्जागरण काल के भूगोलवेत्ता Renaissance in Geography and Geographers of the Renaissance
भूगोल में 1250 से 1700 ईस्वी तक काल को पुनर्जागरण काल कहा जाता है।
क्रिस्टोफर कोलम्बस (Christopher Columbus, 1451-1506 A.D.)
कोलम्बस कहा जन्म 31 अक्टूबर 1451 यूरोप महाद्वीप के ईटली देश के जेनोआ शहर में हुआ था। कोलम्बस निर्धन परिवार से होने के कारण वह यात्रा करने में असमर्थ था उसने स्पेन कि महारानी इसाबेला से सहायता प्राप्त कि। इसने अपनी यात्रा की शुरुआत 1492 में पालोस दे ला फ्रोंटेरा से की। उसे पश्चिम से समुद्री रास्ते से होते हुए भारत और एशिया पहुँचना था परंतु वह गणना संबंधि अशुद्धियों के कारण वह बहामास पहुँच गया (बहामास कैरिबियन सागर में स्थित एक द्वीपसमूह है) कोलम्बस कि सबसे महत्त्वपूर्ण खोज नई दुनिया अमेरिका कि खोज को माना जाता है। 9 दिसम्बर 1493 को अटलांटिक महासागर के कनारी द्वीप पहँचा। 1496 में ट्रिनीयाड की यात्रा कि तथा यहाँ के आस-पास के द्वीपों कि यात्रा कि तथा यहाँ कि प्राकृतिक विशिष्टताओं के बारे में जाना। 1502 में अन्तिम यात्रा कि कोलम्बस अपने समय का महान यात्री, खोजीकृता था जिसने विश्व कि विभिन्न भागों कि यात्रा कि जिससे नये अज्ञात भूभागों कि पहचान हो पाई जिससे अन्य खोजी यात्रीयों के लिए वरदान साबित हुआ जिससे व्यापारिक व उपनिवेशिकरण को बढ़ावा मिला।
कोलम्बस ने अपनी यात्रा के बारे में किसी विशेष पुस्तक कि रचना नही की। उनके बारे उनके द्वारा लिखी एक डायरी Diarios है जिसके माध्यम कोलम्बस कि यात्राओं के बारे जानकारी प्राप्त होती है। कोलम्बस के बारे समकालीन लेखों इतिहासकारों ले उनके लेखों पत्रों को सकंलित कर बाद में प्रकाशित करवाया।
अमेरिको वेस्पुकी का जन्म 9 मार्च 1454 को इटली के फ्लॉरेन्स शहर में हुआ। 1500 ईस्वी में अटलांटिक महासागर को पार कर दक्षिण अमेरिका पहुॅचा जिसे इसने नई दुनिया का नाम अमेरिका रखा।
वेस्पुकी ने अपनी यात्रा वृत्तान्त के बारे में कोई भी पुस्तक नही लिखी, उनके बारे में उनके द्वारा लिखे गये पत्र लेखन के माध्यम से ही उनकी यात्रा अभियानों के बारे में पता चलता है इसके अलावा समकालिक लेखों द्वारा उनके बारे में जानकारीयाँ एकत्रित कि गई है। उनके द्वारा लिखे गये पत्रों में (Mundus novus four Vayages) पत्र है जो उनके कि गई यात्रा अभियानों, खोजों के बारे में बताते है।
वास्कोडिगामा (Vasco-da-Gama, 1460-1524) वास्कोडिगामा का जन्म पुर्तगाल के सिस्को शहर में 1460 ईस्वी में हुआ था। यह एक खोजी यात्री था इसने अपनी यात्रा कि शुरुआत लिस्बन पुर्तगाल से 1498 में की। केप ऑफ गुड होप होते हुए ये भारत के कालीकट कोझीकोड बंदरगाह पहँचा। इसका एक प्रमुख कार्य यह भी था कि व्यापारिक गतिविधि के लिए एक समुद्री मार्ग स्थापित करना था।
वास्कोडिगामा ने स्वंय कोई पुस्तक नही लिखी उनकी यात्रा वृत्तान्त्त के बारे उनके समकालीन लेखको इतिहासकारों कि पुस्तको जैसे गार्सिया दा ओरता पेड्रो दा कस्तेल्हा आदि के माध्यम से जानकारी प्राप्त होती है।
फर्डिनेण्ड मेगेलन का जन्म पुर्तगाल के ओपोर्टो में 1480 में हुआ। 1520 में मेगेलन ने सम्पूर्ण पृथ्वी का चक्कर लगाया।
जिस तरह अधंकार युग में भूगोल के विकास में कमी आने लगी खोज अन्वेषण भौगोलिक अध्ययन कार्यो का लोप सा हो गया वही पुनर्जागरण काल में भौगोलिक खोज वैज्ञानिक स्तर पर अध्ययन पद्धति का विकास हुआ जो भूगोल विषय के लिए आगे चलकर वरदान साबित हुआ।
पुनर्जागरण काल की उपलब्धियाँ।
नवीन आविष्कार- जॉन गुटेनबर्ग द्वारा प्रिटिग प्रेस का आविष्कार हुआ। कोपरनिकस ने सूर्य केन्द्रित ब्रह्माण्ड सिद्धान्त (Heliocentric Universe) का प्रतिपाद किया का विचार प्रस्तुत किया इन्होने बताया कि सूर्य केन्द्र में और पृथ्वी सहित सभी ग्रह सूर्य के चारों और चक्कर लगाते है।
केपलर ने 1571-1630 में खगोलीय और गणितीय भूगोल पर अपने विचार प्रस्तुत किये उन्होने यह सिद्ध किया कि ग्रहो का भ्रमण पथ अण्डाकार है। उन्होने टालॅमी के गोलकार भ्रमण पथ को खारिज कर दिया।
सन 1590 में भू-सवेक्षण के लिए प्लेन टेबिल यंत्र का आविष्कार किया गया। सन 1609 में दूरबीन का आविष्कार किया गया। गैलीलियों ने अपने प्रयोगो के आधार पर यह सिद्ध किया कि पृथ्वी सूर्य के चारों और चक्कर लगाती है। इसका उल्लेख उन्होने अपनी पुस्तक द डायलॉग ऑफ प्रिसिपल सिस्टम ऑफ द वर्ल्ड में किया। न्यूटन नामक वैज्ञानिक ने सिद्ध किया कि पृथ्वी कि आकृति गोलाभ है। 1686 में गुरुत्वाकर्षण शक्ति सिद्धांत का प्रतिपादन किया। उन्होने कहा कि पृथ्वी के साथ अन्य सभी ग्रह पिण्ड गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण सूर्य के चारों और चक्कर लगाते हैं।
भूगोल में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास- भौगोलिक क्षेत्र में होने वाले सभी प्रकार के घटनाक्रम को वैज्ञानिक आधार पर देखा जाने लगा उसी आधार पर उनमें शोध प्रबन्ध का कार्य शुरु हुआ।
नये भागों कि खोज- इस काल में खोजी यात्रीयों ने विश्व के अनजान स्थल भागों कि खोज कि। कोलम्बस वासकोडिगामा जैसे अनेक यात्रीयों ने अनेक नऐ प्रदेशों को खोजा।
व्यापारिकों मार्गों का विकास- नये व्यापारिक मार्गो के विकास से व्यापार में अधिक सुलभता प्राप्त हुई।
पुर्नजागरण काल वह काल था जिसमें भूगोल विषय में अध्यापन शोधकार्य अनुसंधान आदि कार्य पुर्न प्रारम्भ हुए। इसमें अनेक ऐसा विद्वान हुए जिन्होने भूगोल विषय के उत्थान में महत्पूर्ण योगदान दिया।
फिलिप क्लूवेरियस (Philip Cluverius,1828-1622A.D. )
फिलिप क्लूवेरियस (Philip Cluverius) का जन्म यूरोप महाद्वीप में जर्मनी देश के डेन्जिन शहर में हुआ था। वह सैनिक होने कारण अधिकतर सैनिक अभियानों में व्यस्त रहा; इसी दौरान उसने यूरोप के विभिन्न स्थानों कि यात्रा की; भौगालिक क्षेत्र में अधिक रुची होने चलते भौगोलिक उसने विभन्न स्थानों कि सैनिक अभियानों के साथ भौगोलिक यात्रा भी की।17वीं शताब्दी में जर्मनी भी भूगोल के विकास में अहम योगदान दिया।
पुस्तक- An Introduction to Universal Geography यह पुस्तक छः खंडों में प्रकाशित हुई यह मुल रुप से लैटिन भाषा में लिखी गई पुस्तक है। जिसमें भूगोल व क्षेत्रवर्णनी विज्ञान में अतंर को बताया गया है।
बर्नहार्ड वारेनियस (Bernhard Varenius,1622-1650 A.D.)
वारेनियस ने भूगोल को तीन भागों में विभक्त किया हो निम्न है।
निरपेक्ष भूगोल अथवा सार्वभौम भूगोल इसमें सम्पूर्ण पृथ्वी का भाग शामिल है।
सापेक्षित भूगोल इसमें पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों का वर्णन है।
तुलनात्मक भूगोल इसमें पृथ्वी का सामान्य वर्णन शामिल है जिसमें धरातल कि बनावट स्थिति आदि का वर्णन है।
वारेनियस प्रथम भूगोलवेत्ता था जिसने क्रमबद्ध व प्रादेशिक भूगोल में द्वैतवाद की नीव रखी। वारेनियस ने ही सर्वप्रथम भौतिक भूगोल व मानव के मध्य अतंर स्पष्ट किया। वारेनियस को क्रमबद्ध भूगोल का जनक माना जाता है।
पुस्तक
सामान्य भूगोल (Geographia Generalis) 1650
जापान और स्याम का भौगोलिक वर्णन स्याम (थाइलैण्ड)1649
सेबेस्टियन मुस्टर का जन्म में हुआ ये मानचित्रकला के विद्वान थे जिन्होने त्रिभुजीकरण विधि को विकसित किया था।
ये मुल रुप से भौलिक विज्ञान के विद्वान थे इन्होने पृथ्वी की आकृति भू द्रष्यों का निर्माण स्थलरुपों चट्टानों का निर्माण भूकम्प आदि पर अपना अध्ययन प्रस्तुत किया जिसका प्रकाशन 1544 में कॉस्मोग्राफिया यूनिवर्सेलिस में प्रकाशित हुआ।
पीटर एपियन 1495- 1552 का जन्म हुआ था।
Comments
Post a Comment