Roman Geographers रोमन भूगोलवेत्ता
Roman Geographers रोमन भूगोलवेत्ता
युनानी साम्राज्य के पतन के साथ ही युनान के पश्चिम में स्थित रोमन नगर रोमन सभ्यता का उदय में हुआ है। यह एक प्रायद्वीपीय नगर है जो ईटली की प्रसिद्ध नदी टाईबर नदी पर स्थित है। यह प्रमुख धार्मिक नगर है तथा विस्तृत साम्राज्य के कारण इनका सम्पर्क एशिया अफ्रीका यूनान तक हो पाया। रोमन भूगोलवेत्ताओं का प्रमुख योगदान ऐतिहासिक प्रादेशिक व भौतिक भूगोल में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
रोमन काल में सिकन्दरिया प्रमुख शिक्षा केन्द्र होने के कारण विभन्न क्षेत्रों से चलकर यही आते थे। यहाँ अध्ययन करने आने का एक प्रमुख कारण यह भी था कि यहाँ पर पहले के विद्वानों कि खोजे भौगोलिक ज्ञान, अन्वेक्षण, यात्री वृतान्त, आदि सिकन्दरिया में सगृहित थे जिस कारण यहाँ पर अध्ययन सामग्री विधियॉ आसानी से उपलब्ध हो जाती थी। यह कहा जा सकता है सिकन्दरिया शिक्षा के क्षेत्र में काफी समृद्ध क्षेत्र था। अधिकतर रोमनवासी अध्ययन करने के लिए यही आते थे।
रोमनवासीयों की अध्ययन पद्धति वैज्ञानिक व दार्शनिकता पर आधारित थी परंतु इनकी अध्ययन पद्धति यूनानियों से अधिक प्रभावित थी।
रोमन भूगोलवेत्ता- स्ट्रेबों, प्लिनी, टॉलेमी, पोम्पोनियस मेला
स्ट्रेबों (Strabo 63 B.C. 24 A.D)
एक महान प्रादेशिक भूगोलवेत्ता थे। रोमनवासी होते हुए इसने अपने ग्रंथ युनानी भाषा में लिखें। प्राचीन भूगोल विषय मे जो जानकारी आज उपलब्ध है वह मुख्यतः स्ट्रेबों की ज्योग्राफी से लि गई है, क्योकि पहले के भूगोलत्ताओं द्वारा लिखी गई ज्यादातर पुस्तके विलुप्त हो गई है। स्ट्रेबों ने अपने जीवनकाल में लगभग 43 ग्रंथों की रचना ऐतिहासिक स्मृतिया के शीर्षक से की है।
स्ट्रेबों ने पृथ्वी की अक्षांश देशातंर के मापन करने के लिए हिप्पारचूस द्वारा अपनाई गई विधि को अपनाया, बल्की इरेटोस्थनीज द्वारा अपनाई गई विधि को नही माना।
स्ट्रेबों का ऐतिहासिक वर्णनों में गहरी रुची थी। उन्होने इतिहास के विकास में भूगोल के प्रभावों कारको का अध्ययन करने का प्रयास किया। उनका मानना था कि यूरोप महाद्वीप कि जलवायु शीतोष्ण होने के कारण ही वहॉ के लोग अधिक प्रगतिशील कार्यकुशल बन पाये।
स्ट्रेबों को प्रथम नियतिवादी विचारक माना जाता है।प्रसिद्ध ग्रंथ भौगोलिक विश्वकोष (Geographical Encyclopaedia) 17 खंडों में विभक्त है।
खंड 1 व 2 विश्व भूगोल तथा सामान्य भूगोल
खंड 3,4,5 यूरोप के देशों का वर्णन
खंड 6,10 यूरोप का भौगोलिक वर्णन
खंड 11,14 एशिया का वर्णन
खंड 16 एशिया माईनर (टर्की) का वर्णन
खंड 17 अफ्रीका (मिस्त्र व लिबिया) का वर्णन
स्ट्रेबों ने विश्व में बसे हुए स्थान भू-भाग को (Oikoumene) कहा है।
नोट इरेटोस्थनीज ने (Ecumene) को बसे हुए भाग से जाना।
प्लिनी (Pliny of the Elder 23-79 A.D.)
ग्रंथ- (Books)
- Historia Naturalis प्राकृतिक इतिहास (37 खंडों में विभक्त)
- History of the Wars in Germany (20 खंडों में विभक्त)
- History of His Own Times (21 खंडों में विभक्त)
- Meteorology
एक मात्र ऐसा भूगोलवेत्ता थे जिसने पृथ्वी के विभिन्न भू-भागों के वर्णन के साथ-साथ आकाशीय गतिविधियों का भी विस्तृत वर्णन किया था।
टॉलमी (Ptolemy 90-168 (A.D.)
टॉलेमी के जन्मस्थान को लेकर विद्वानों में काफी मतभेद है। फिर भी ऐसा माना जाता है कि सिकन्दरिया में स्थित टॉलेमी नामक गॉव में टॉलेमी का जन्म हुआ होगा जिसके आधार उनका नाम टॉलेमी पड़ा। टॉलेमी की गहरी रुची अध्यापन कार्य में थी। उन्होने शिक्षण का कार्य सिकन्दरिया में ही किया था यह जानकारी उनके द्वारा लिखी पुस्तको से होती है।
टॉलेमी वह प्रथम विद्वान था जिसने पृथ्वी के मानचित्रों का अक्षांश व देशातंरों का निर्धारण का कार्य वैज्ञानिक आधार पर किया। टॉलेमी ने विश्व मानचित्र शंक्वाकार प्रक्षेप पर बनाया, तथा पृथ्वी को 360 डिग्री देशातंर में विभाजित किया तथा भूमध्य रेखा कि परिधि कि लम्बाई 18000 मील बताई। टॉलेमी ने यह भी बताया कि सभी देशातंरों कि दुरी एक समान नही है उत्तरी ध्रुव पर सभी देशातंर रेखाये आपस में मिल जाती है, तथा भूमध्य रेखा पर देशातंर कि दूरी अधिकतम पाई जाती है।
ग्रंथ (Books)
- गाइड टू ज्योग्राफी (geographic Syntaxis) 8 खंडों में
- भूगोल की रुपरेखा (द आउट लाइन ऑफ ज्योग्राफी)
- एनेलिमा (Anaelema)
- अल्माजेस्ट (Almagest) 13 खंडों में
- ग्रहीय परिकल्पना (Hypothesis on Planets)
- गणीतीय भूगोल
पोम्पोनियस मेला (Pomponiaus Mela)
ग्रंथ (Books)
- Cosmography
- Dechorographia (डिकोरोग्राफिया इसमें यूरोप की जलवायु को शीतोष्ण बताया है।)
- स्काईलैण्ड (Skylax)
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